कविता संग्रह >> कह देना कह देनाअंसार कम्बरी
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आधुनिक अंसार कम्बरी की लोकप्रिय ग़जलें
५६
सामने आँधियों के जलायेंगे हम
सामने आँधियों के जलायेंगे हम
अब चराग़ों को यूँ आज़मायेंगे हम
कम से कम एक तिनका ही दे दीजिये
देर मत कीजिये डूब जायेंगे हम
सिर्फ़ चेहरे नहीं हैं किताबें हैं ये
अपने चेहरों को कैसे छिपायेंगे हम
फूल खिलने से पहले ही मुरझा गये
अब किसे देखकर मुस्कुरायेंगे हम
हमको मंजिल मिलेगी तभी ‘क़म्बरी’
अपनी राहें अगर ख़ुद बनायेंगे हम
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