Nari Ki Vyatha - Hindi book by - Naval Pal Prabhakar - नारी की व्यथा - नवलपाल प्रभाकर
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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


48. तभी माँ ने मुझे धंधेड़ा


तभी माँ ने मुझे धंधेड़ा
पैर के अँगूठे को मरोड़ा
काम पर जाना है मुझे
उठ बेटी अब वक्त है थोड़ा

अनायास ही जगाया था
मुझे पूरी तरह हिलाया था।

आँखें मलती मैं उठती हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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