कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
64. शादी का दिन वह आ गया
शादी का दिन वह आ गया
शादी कर वह मुझे ले गया
दहेज में उसने धेला ना लिया
पिता उसका बारात में ना था
घर जब उसके मैं पहुँची
स्वागत करने को कोई न थी
मैं अभागिन बेचारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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