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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


79. चारों बेटों को मैंने


चारों बेटों को मैंने
रखा नौ-नौ महीने गर्भ में
गीले में पड़ी रहती सदा मैं
सूखा हमेशा दिया इन्हें

आज मैं बूढ़ी हो चुकी हूँ
पाला इनको, भारी मैं हूँ

पीछे चलती सोचती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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