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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590
आईएसबीएन :9781613015827

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


112. मैं शेरनी तुम खुले भेड़िये


मैं शेरनी तुम खुले भेड़िये
क्या मेरा तुम बिगाड़ोगे
मुझे नोच-खसोट कर तुम
क्या ऐसे ही तड़फाओगे।

यदि मैं क्रोधित हुई तो
तुमको को मैं ना जीने दूँगी

मैं शाँतिप्रिय काली हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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