कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
111. यदि नारी शक्ति बन गई
यदि नारी शक्ति बन गई
कहीं पार न पायेगा
अपने हाथों नारी को मसलकर
कहाँ सुख शाँति पायेगा।
कोमल है महसूस करो तुम
नारी का स्पर्श मन के अन्दर
आज ये मैं समझाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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