कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
18. मैं हमेशा हँसती रहती
मैं हमेशा हँसती रहती
कभी किसी से कुछ न कहती
हर घर में घुमती रहती
हर किसी का काम मैं करती
हर कोई है खुश मुझसे
ना कोई दुखी मुझसे
पूरी गाँव की प्यारी हूँ।
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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