कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
25. पिता संयम धर यूँ बोले
पिता संयम धर यूँ बोले
अभी हमारी नन्ही बच्ची
कहाँ शादी के लायक हुई
अभी तो है ये कोमल कच्ची
कोई मिलेगा तो ढूँढूंगा
देखूँगा कल बात करूँगा
क्यों दोनों पर मैं भारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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