कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
24. पिता मजदूर मजदूरी करता
पिता मजदूर मजदूरी करता
खाने के बाद कितना बचता
बेचारा पाई-पाई जोड़ता
तब भी शादी जितना ना हुआ
मैं कब शादी लायक हो गई
शादी की कोई बात ना हुई
मैं कितनी अज्ञानी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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