कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
27. पिता ढूँढने लगा जो वर
पिता ढूँढने लगा जो वर
मिला ना कोई लायक वर
जो मिलता कोई अच्छा वर
उसके अलग ही होते तेवर
दहेज के लोभी समाज में देखो
ऐसा घर कहाँ, जो दहेज न लेता हो
मैं पिता की लाचारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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