कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
37. आगे की जब बात सुनी तो
आगे की जब बात सुनी तो
मैं तो जैसे दंग रह गई
घर की कीमत लगाकर भी
धन में अभी भी कमी रह गई
मात-पिता दोनों खुश थे
बेटी राज करेगी हमारी
घर बेच क्यों, भिखारी करूँ?
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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