| कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
    
    
39. मेरे कहने पर पिता बोले
मेरे कहने पर पिता बोले
बेटी हमारी चिन्ता ना कर
क्योंकि तेरे जाने के बाद
होगा हमें संतोष दान कर
तू सुखी तो हम सुखी
तू दुखी तो हम दुखी
छूटे पिता घर, नही चाहती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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