कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
41. पूरे घर का माहौल एकदम
पूरे घर का माहौल एकदम
दुख से भरा गमगीन था
हालत सबकी गँभीर थी
मौंसम बड़ा सँगीन था
तीनों की आँखों में पानी
हम तीनों की थी नादानी
मैं रोऊँ, लाचारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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