कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
57. आज शाम को ही प्रिये
आज शाम को ही प्रिये
आऊँगा तेरे घर मैं
तुझे वहाँ से ले आऊँगा
प्रिये माला डालके मैं
मत डरना संसार से तुम
रहेंगे साथ-साथ हम और तुम
हल्की ठंड मैं पाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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