कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
59. जो होगा देखा जायेगा
जो होगा देखा जायेगा
अब शाम को आने दे
देखती हूँ वचन का पक्का
कितना है उसे आने दे
ले जायेगा यदि शादी कर
खुश रखूँगी उसे जीवन भर
मन में वचन मैं ये लेती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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