कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
60. शाम को जब माँ और पिता
शाम को जब माँ और पिता
कर काम को घर लौटे
मैं कुछ उदास थी तो
मुझे देखकर पिता बोले
हुआ क्या प्यारी लाडो को
उदास नजर आती है हमको
यह सुन सुबक पड़ती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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