कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
84. बाँझ कहकर बुलाने वाली
बाँझ कहकर बुलाने वाली
उन औरतों का सिर नीचा हुआ
नवें महीने उस औरत ने
मुझको सुन्दर पोता दिया
अब उन दोनों की नजरों में मेरी
इज्जत और भी ज्यादा बढ़ी
भगवान का नाम मैं लेती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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