कविता संग्रह >> नारी की व्यथा नारी की व्यथानवलपाल प्रभाकर
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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ
86. नहीं-नहीं बेटा अभी
नहीं-नहीं बेटा अभी
तू इतनी खुशी ना उछाल
समय आयेगा तब मैं खुद
पूछूँगी इस बारे सवाल।
तब निकाल लेना अपने मन की
और मैं भी पूरा-पूरा साथ दूँगी।
आत्मनिर्भरता से कहती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।
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