व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> नया भारत गढ़ो नया भारत गढ़ोस्वामी विवेकानन्द
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संसार हमारे देश का अत्यंत ऋणी है।
जीवन-संग्राम में सदा लगे
रहने के कारण निम्न श्रेणी के लोगों में अभी तक
ज्ञान का विकास नहीं हुआ। ये लोग अभी तक मानवबुद्धि द्वारा परिचालित यंत्र
की तरह एक ही भाव से काम करते आये हैं, और बुद्धिमान चतुर व्यक्ति इनके
परिश्रम तथा कार्य का सार तथा निचोड़ लेते रहे हैं। सभी देशों में इसी
प्रकार हुआ है। परंतु अब वे दिन नहीं रहे। निम्न श्रेणी के लोग धीरे-धीरे
यह बात समझ रहे हैं और इसके विरुद्ध सब सम्मिलित रूप से खड़े होकर अपने
समुचित अधिकार प्राप्त करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हो गये हैं। यूरोप और
अमेरिका में निम्नजातिय लोगों ने जाग्रत होकर इस दिशा में प्रयत्न भी
प्रारंभ कर दिया है, और आज भारत में भी इसके लक्षण दृष्टिगोचर हो रहे हैं।
निम्न श्रेणी के व्यक्तियों द्वारा आजकल जो इतनी हड़तालें हो रही हैं, वे
इनकी इसी जागृति का प्रमाण है। अब हजार प्रयत्न करके भी उच्च जाति के लोग
निम्न श्रेणियों को अधिक दबाकर नहीं रख सकेंगे। अब निम्न श्रेणियों के
न्यायसंगत अधिकार की प्राप्ति में सहायता करने में ही उच्च श्रेणियों का
भला है।
जिनका ऐशो-आराम में
लालन-पालन और शिक्षा लाखों पददलित परिश्रमी गरीबों के
हृदय के रक्त से हो रही है और फिर भी जो उनकी ओर ध्यान नहीं देते, उन्हें
मैं विश्वासघातक कहता हूँ। इतिहास में कहीं और किस काल में आपके धनवान
पुरुषों ने, कुलीन पुरुषों ने, पुरोहितों ने और राजाओं ने गरीबों की ओर
ध्यान दिया था - वे गरीब, जिन्हें कोल्हू के बैल की तरह पेलने से ही उनकी
शक्ति संचित हुई थी। भारतवर्ष के सभी अनर्थों की जड़ है - जनसाधारण की
गरीबी। पुरोहिती शक्ति और विदेश विजेतागण सदियों से उन्हें कुचलते रहे
हैं, जिसके फलस्वरूप भारत के गरीब बेचारे यह तक भूल गये हैं कि वे भी
मनुष्य हैं। हमारे अभिजात पूर्वज साधारण जनसमुदाय को जमाने से पैरों तले
कुचलते रहे। इसके फलस्वरूप वे बेचारे एकदम असहाय हो गये। यहाँ तक कि वे
अपने आपको मनुष्य मानना भी भूल गये।
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