उपन्यास >> परम्परा परम्परागुरुदत्त
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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास
‘मुझसे से निकाह पढ़ाना पड़ेगा।’
‘मैं ध्यान से उस लड़की की आँखों में देखने लगा। वह शर्म से झुक गयी। मैंने स्वीकार किया तो वह उठकर बाहर चली गयी। मेरे लिये वहाँ की देहाती पोशाक लायी गयी और वह पहना मेरी वर्दी उतरवा ली गयी। मैंने अपना पर्स और हवाई जहाज का लायसेंस निकाल अपने कुर्ते की जेब में रख लिये। मेरी डायरी और कलम मेरी वर्दी में ही रह गये।
‘‘पन्द्रह-बीस मिनट में चौधरी, लड़की और उसी घर की दोनों अन्य स्त्रियाँ और एक मुल्ला बकर-दाढ़ी रखे भीतर आ गये और मेरा ‘निकाह उस लड़की से पढ़ाकर उसका हाथ मुझे पकड़ा दिया गया।
‘‘वहीं मेरी सुहाग-रात हुई और रात के तीन बजे मुझे लड़की के साथ गाँव से विदा कर दिया गया। वहाँ मुल्ला हमारे साथ था।
‘‘वहाँ से दस मील के अन्तर पर उस लड़की के ननिहाल थे। हम तीनों, दिन के सात बजे वहाँ पहुँचे गये और साथ आये मुल्ला ने लड़की की नानी को समझा दिया।
‘‘यह मुझे पीछे ज्ञात हुआ कि उसकी नानी तो सगी थी, परन्तु उसका नाना उसकी नानी का दूसरा खाविन्द था। मुल्ला के अपने गाँव लौटते ही लड़की ने कहा, ‘हमको यहाँ नहीं रहना। आज रात ही हम यहाँ से कराची चले जायेंगे। नाना को मेरा यहाँ आना पसन्द नहीं।’
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