उपन्यास >> परम्परा परम्परागुरुदत्त
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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास
‘‘परन्तु परशुराम नहीं माना और राम को द्वन्द्व-युद्ध के लिये ललकारने लगा। परशुराम ने अपना परसा चलाने के लिये उठाया तो राम ने उसकी बाँह पकड़ ली। परशुराम का परसे वाला हाथ पकड़ा गया तो वह उसे छुड़ाने का यत्न करने लगा। उसने बहुत यत्न किया, परन्तु वह अपना हाथ छु़ड़ा नहीं सका। इस पर राम ने उसकी बाँह को इतने जोर से पकड़ा कि परशुराम के हाथ से परसा नीचे गिर पड़ा।
परशुराम ने देखा-कि वह इस युवक से पार नहीं पा सकता। वह निस्तेज हो गया था। अतः वह लज्जित हो अपने स्थान सरस्वती नदी के तट पर लौट गया।
इस घटना के उपरान्त तो राम के बल-पौरुष की कहानी भूमण्डल भर में फैल गयी।
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