कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति स्वैच्छिक रक्तदान क्रांतिमधुकांत
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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।
बेचैन
ऑपरेशन की टेबल पर खड़ा डॉक्टर
परिजनों से रक्त की मांग करे,
झूठा बहाना कर
एक-एक स्वजन खिसक जाए।
बताइए,
बेचैन को चैन कैसे आए?
फाइव-स्टार होस्पीटल में
अरबपति पिता के लिए
परिवार के मुखिया के लिए
सब रक्त देने से जी चुराएं
और रघुआ पर नजर टिकाएं
उसे पुचकारे, ललचाएं
बताइए,
बेचैन को चैन कैसे आए।
प्रत्येक पीड़ित जवानी को
दुर्घटनाग्रस्त प्राणी को
सीमाओं पर खड़े सैनिक को
प्रसुता बहन-माता को
थैलिसीमिया के रोगी को
जरूरत के समय रक्त ना मिले
बताइए,
बेचैन को चैन कैसे आए।
बेचैन, मेरा नाम नहीं है दोस्तो
शायद मैं बेचैन दिखता हूं
जमाने ने उपहास में
मेरा यह नाम दिया।
किसी के शरीर में सरप्लस खून
दूसरे खून के बिना दम तोड़ जाएं
बताइए,
बेचैन को चैन कैसे आए।
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