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कविता संग्रह >> स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

स्वैच्छिक रक्तदान क्रांति

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :127
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9604
आईएसबीएन :9781613015834

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स्वैच्छिक रक्तदान करना तथा कराना महापुण्य का कार्य है। जब किसी इंसान को रक्त की आवश्यकता पड़ती है तभी उसे इसके महत्त्व का पता लगता है या किसी के द्वारा समझाने, प्रेरित करने पर रक्तदान के लिए तैयार होता है।


खून बिन सून


ये रक्त रक्त है रक्त रक्त रक्त
ये खून खून है? खून खून, खून
खून हिन्दू है, खून मुसल्मा भाई
वही इंसान में खून, खून सिक्ख भाई
हैं खून के रिश्ते में सब भाई-भाई
सब जिस्म में बहता है बस लाल खून..
ये खून, खून है खून, खून खून...
ये खून, खून है खून, खून खून...

मेरे मोला खून का एक रक्तधाम बनादे
इसमें एक रक्त की बूंद बैठा दे
तन से निकाल सब उस पर खून चढा दे
जिंदगी रक्त है बिन इसके सब सून-सून
ये खून, खून है खून, खून खून...
ये खून, खून है खून, खून खून...

ये खून, खून है? खून-खून-खून-खून
मेरे मालिक ये खून तेरे बंदों के लिए
ये आँख ये जिस्म तेरे बंदों के लिए
जो तूने दिया तेरे बंदों के लिए।
सबको जिंदगी बख्से है ये खून-खून- २
ये खून, खून है खून, खून खून....
ये खून, खून है खून, खून खून....

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