कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
यादें और हवा
यादों के सांए से गुजर करयूं हवा चुप चली जाती है
जैसे प्यासी आंखों को शबनम
मिलकर बिछुड़ जाती है।
यह शीतल मनमोहक पवन
ताजगी भरे उत्साहित मन को
अन्दर से खदेड़ जाती है।
यादों के सांए से गुजर कर
यूं हवा चुप चली जाती है।
मन को देकर विचार नया
मुस्कुरा चंचल उजली हवा
प्रेम राग गाकर चली जाती है।
यादों के सांए से गुजर कर
यूं हवा चुप चली जाती है।
उनकी यादों का मंजर फिर
छा जाता है सुनसान मन पर
हवा हिलोंरे देकर जगा जाती है।
यादों के सांए से गुजर कर
यूं हवा चुप चली जाती है।
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