कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
पहचान
रूखा चेहराअतृप्त आंखें
सूखे होंठ
बहती नासें
यही तो
जुकाम की
पहचान है।
तन में जलन
वैसे कंपन
रजाई में गर्मी
धूप में सिरहन
यही तो
मलेरिया की
पहचान है।
हर जगह अंधियारा
दिन में तारे टूटना
मन का घबराना
पेड़ों का घुमना
यही तो चक्करों की
पहचान है।
जी का मिचलाना
पेट में गुदगुदाना
पानी से डर जाना
कुछ भी न भाना
यही तो उल्टी की
पहचान है।
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