| कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
 
      
    
छूना है चांद को
यदि तेरा प्यारा साथ मिले तोछूना चाहता हूं आसमान को
लगाकर पंख शरीर से अपने
पाना चाहता हूं श्वेत चांद को।
तुम साथ मिल जाओ अगर तो
कोई चीज मुश्किल न होगी
जो दूर भागती है वह मुझ से
वो हर चीज मेरे पास में होगी
हर दिन रात ये अपनी होगी,
और भला तुम क्या चाहते हो।
लगाकर पंख शरीर से अपने
पाना चाहता हूं श्वेत चांद को।
हर जगह हर स्थान पर
तेरा मेरा ही राज रहेगा
लोग झुकेंगे सलाम करेंगे
ऐसा हमारा ये नाम होगा
फिर क्या ऐसा काम होगा
जो कभी भी पूरा ही ना हो।
लगाकर पंख शरीर से अपने
पाना चाहता हूं श्वेत चांद को।
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