कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
चमकता चेहरा
चांद की चांदनी मेंचमकता हुआ चेहरा
आंखें काली गोल-गोल
रंग दूध मिला सुनहरा।
काले चमकते सुन्दर बाल
क्रीम से पुते हुए लाल गाल
आंखों से मद यूं छलकता
जैसे हो कोई झील गहरा।
आंखें काली गोल-गोल
रंग दूध मिला सुनहरा।
नव यौवन की चादर ओढ
निकल पड़ी नव रस्ते पर
कंपन थिरकती हर अंग से
जैसे बिखरा हो नया सवेरा।
आंखें काली गोल-गोल
रंग दूध मिला सुनहरा।
मेघों जैसा कोमल स्पर्श
मक्खन जैसा तीखा रस
हर अंग कोमल सुगंधमय
जैसे पौधा हरा-भरा।
आंखें काली गोल-गोल
रंग दूध मिला सुनहरा।
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