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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।


कुछ औषधिक महत्व के पौधे

हमारे प्राचीन ग्रन्थों में, वेदों में अनेक पौधों एवं वृक्षों का उल्लेख मिलता है। जिनके औषधिक महत्वों को देखते हुए हमें दाँतों तले अँगुली दबानी पड़ती है। वर्तमान समय में, जबकि सम्पूर्ण विश्व की आबादी विस्फोटक हो रही है। लोगों का जीवन मशीनीकृत हो रहा है। धरती के तिल-तिल पर मनुष्य रहने के लिए मकान और उद्योगों को खड़ा कर रहा है। ऐसी स्थिति में हमारे प्राचीन ग्रन्थों मं  वर्णित अनेक पौधे लुप्त होते जा रहे हैं। उनके परिचय से अधिकतर अनभिज्ञ हैं।

हमारे ग्रन्थों में ओषधिक पौधों के बारे में यहाँ तक वर्णन मिलता है कि कई पौधे बड़े से बड़े घाव को चन्द घण्टों में भरकर ठीक कर देते थे। आज ये सब पौधे शायद स्वप्न में भी देखने को नहीं मिलते हैं।

आज कैंसर विश्व में सबसे कष्टप्रद रोग है। यह रोग विज्ञान के लिए एक चुनौती है, क्योंकि अब तक ओषधियों तथा शल्य क्रिया द्वारा उपचार किया जाता है, यह संतोषप्रद नहीं है। कैंसर के अत्यन्त तीव्र गति से बढ़ते सूक्ष्म कीटाणुओं को औषधि में एवं शल्य क्रिया दोनों ही के द्वारा नष्ट किया जा सकता है।

लगभग 80% कैंसर का कारण वायु मण्डलीय वायु प्रदूषण है। कैंसर के उपचार हेतु कुछ वनस्पतिक औषधियाँ भी प्रकाश में आई हैं, जिनका विवरण यहाँ प्रस्तुत है-

'भिलावा'

एक सामान्य कैंसर नाशक औषधिक पौधा है। इसके पेड़ हिमालयीन क्षेत्र में  3100 मीटर की ऊँचाई पर तथा देश के पश्चिमी भाग तथा मध्य प्रदेश में पाये जाते हैं। सर्वप्रथम 1961 में बम्बई के प्रसिद्ध डॉ. जी. वेद ने इसके बीजों में कैंसर निरोधक रसायनों की खोज की।

हिमालयीन प्रदेश में प्राप्त 'पोडोफाइलम से त्वचा के कैंसर के उपचार हेतु एक लेप ब्रिटिश वैज्ञानिक प्रोफेसर बटैली ने बनाया है।

अभी तक जिन कुछ पौधों में कैंसर निरोधी गुण पाये जाते हैं, इनमें प्रमुख हैं- 'रतन जोत' (जेट्रोपा कुरकस), इल्लर-बिल्लर (काक्यूलस पेंडलसी) जंगली तम्बाकू (निकोटियाना लम्बेजिनी) हरी मिर्च (केप्सीकम एनम) तथा गदर तम्बाकू आदि।

इटली के प्रसिद्ध कैंसर विशेषज्ञ प्रो. ध्योने के अनुसार मिट्टी में पाये जाने वाले कवक कुकुरमुत्ता (एगेरीक्स) के मिट्टी में पाये जाने वाले सूक्ष्म कीटों से कैंसर नाशक औषधि एडियामायसीन बनाई गयी है, जो कि कैंसर निरोधक औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है।

आज विश्व में भले ही आधुनिक औषधियों का साम्राज्य हो, किन्तु भारत के अधिकांश क्षेत्रों में आज भी पौधों से उपचार किया जाता है और वह भी सफलतापूर्वक।

इस लेख में मैंने कुछ अत्यन्त ही सामान्य वनस्पतियों को शामिल किया है जिनका अचूक और सरल औषधिक महत्व है। कुछ पौधों का संक्षिप्त परिचय व उनके उपयोग इस प्रकार से हैं-

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