लोगों की राय

व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चमत्कारिक दिव्य संदेश

चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

139 पाठक हैं

सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।


जीवन क्या है?

'जीवन क्या है? एक जिज्ञासु के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए महात्मा टाल्स्टाय ने एक कहानी सुनाई-

'एक बार एक यात्री जंगल-पथ से चला जा रहा था। अचानक एक जंगली हाथी उसकी ओर झपटा। बचाब का अन्य कोई उपाय न देखकर वह रास्ते के एक कुएँ में कूद पड़ा। कुएँ के बीच में बरगद का एक मोटा पेड़ था। यात्री उसी का एक तन्तु पकड़कर लटक गया।

कुछ देर बाद उसकी दृष्टि कुएँ की ओर गई- कदाचित् बही त्राण की कोई सूरत दीख जाए! किन्तु वहाँ तो साक्षात् मौत ही खड़ी थी- विकराल मगर उसके नीचे टपकने की बाट जोह रहा था। भय-कम्पित निरुपाय आँखें ऊपर पेड पर गईं- देखा, शहद के एक छत्ते से बूँद-बूँद मधु टपक रहा था। स्वाद के सामने वह भय को भूल गया। उसने टपकते हुए मधु की ओर बढ़कर अपना मुँह खोल दिया और तल्लीन होकर मूँद-बूँद मधु पीने लगा।

लेकिन यह क्या? उसने साश्चर्य देखा, वट-तन्तु के जिस मूल को पकडकर वह लटका हुआ था, उसे एक सफेद और एक काला चूहा कुतर-कुतरकर काट रहे थे।,,'

जिज्ञासु की प्रश्नसूचक मुद्रा देख महात्मा टाल्स्टाय ने कहा- 'नहीं समझे तुम?' वह हाथी काल था, मगर मृत्यु था; मधु जीवन-रस था और काला तथा सफेद चूहा दिन-रात। इन सनका सम्मिलित नाम ही जीबन है।,

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book