व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
(1) सर्पविष का प्रभाव दूर करने में- सर्पविष के कुप्रभाव को दूर करने में भी पीपल वृक्ष के पत्तों की डालियों का उपयोग किया जाता है। इसके लिए सर्वप्रथम पीपल के छोटे पौधों की 2 पतली-पतली डालियाँ जो हमारे कनिष्टिका उँगली के बराबर मोटी तथा 2 अंगुल लम्बी हों, और जिनके सिरे पर अंकुर भी फूट रहा हो, ऐसी डालियों के पत्ते वगैरह तोडकर सिरे के अंकुर के पास की छाल एक तरफ से आधा इंच के करीब नाखून से छील लेना चाहिए और फिर वह अंकुर वाला भाग सर्पदंशित मनुष्य के दोनों कानों के छिद्रों के भीतर डाल देना चाहिए और उन लकड़ियों का दूसरा सिरा बाहर से मजबूत से पकड़ लेना चाहिए, क्योंकि विष का प्रभाव उन लकडियों को अपनी ओर खींचता है। अगर बाहर से लकड़ी को मजबूती से नहीं पकड़ा गया तो वह कान का पर्दा फाड़कर भीतर चली जाती है।
इस चिकित्सा के समय दो बलवान मनुष्यों को रोगी के हाथ-पैर पकड़कर रखना चाहिए, क्योंकि जब विष का आकर्षण होने लगता है। तब रोगी पागलों की तरह चेष्टाएँ करता है। इसलिए उसको सँभालकर रखने की जरूरत होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस प्रयोग से सर्पविष से मूर्छित होकर मरणावस्था पर पहुँचा हुआ व्यक्ति भी आधे से लेकर एक घण्टे के भीतर चैतन्य प्राप्त कर लेता है। इसके पश्चात् उसकी थकावट को दूर कर लेता है। थकावट को दूर करने के लिए मिश्री मिला हुआ गाय का दूध, घी और काली मिर्च पिलाना चाहिए तथा उसको चौबीस घण्टे तक बिल्कुल भी नहीं सोना चाहिए। इन्दौर रियासत के एक तहसीलदार ने इस प्रयोग के द्वारा सर्पदंश के कई रोगियों को अच्छा किया।
(2) दमा रोग दूर करने में- पीपल के सूखे फलों को पीसकर 14 दिन तक पानी के साथ फक्की देने से दमा में लाभ होता है।
(3) हिचकी दूर करने में- पीपल वृक्ष की छाल को जलाकर उसकी राख को पानी में घोलकर उसके निथरे हुए पानी को पिलाने से हिचकी बन्द होती है।
(4) पैरों की बिवाई दूर करने में- पीपल के वृक्ष की छाल का रस या दूध लगाने से पैरों की बिवाई मिटती है।
(5) दन्त रोग में- पीपल की छाल तथा बरगद के पेड़ की अन्तरछाल का काढ़ा बनाकर कुल्ले करने से सब प्रकार के दाँत तथा मसूढ़ों के रोग में हितकारी प्रभाव होता है।
(6) वमन मिटाने में- इसकी छाल को जलाकर उसको पानी में मिलाकर उस पानी को निथारकर पिलाने से वमन मिटती है।
पीपल का वृक्ष हमारे तन्त्र में भी बहुत उपयोगी है। उदाहरणार्थ जिस व्यक्ति के व्यवसाय में पर्याप्त वृद्धि न होती हो उसे शनिवार के दिन एक पीपल का पत्ता तोडकर अपनी दुकान में वह जहाँ बैठता है, वहाँ रखना चाहिए। पुन: अगले शनिवार को दूसरा पत्ता लावें, जब इस प्रकार 7 पत्ते हो जावें, तो उन्हें किसी कुएँ या नदी में ठण्डा कर देवें ऐसा करने से उसके व्यवसाय में वृद्धि प्रारम्भ होती है।
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