व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
|
4 पाठकों को प्रिय 139 पाठक हैं |
सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
इलायची -
यह जिंजिबेरेसी कुल का एक सामान्य पौधा है, जो कि कुछ हरे पत्तों वाला होता है। इसके पत्तों में भी सुगन्ध आती है।
इलायची का प्रयोग प्राचीनकाल से होता आ रहा है। यह एक उत्तम प्रकार का मुखशोधक है। मुख में इलायची चबाने से मुख की दुर्गन्ध का शमन होता है।
20-22 इलायची को हल्का-सा कूटकर लगभग 2 गिलास पानी में उबालें। जब पानी आधा रह जाये, तब उसमें पर्याप्त शक्कर मिलाकर पुन: एक उबाली लेकर छान लें। इस शर्बत की 2-2 चम्मच मात्रा प्रति 2-2 घण्टे में लेने से किसी भी प्रकार की घबराहट नहीं होती है और आत्मबल प्रबल होता है।
वैसे प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित है, कि कोई भी व्यक्ति इलायची को मुख में चबाकर, यदि किसी ऐसे व्यक्ति के कान में फूंके, जिसे बिच्छू ने काट लिया हो, तो उसका विष तुरन्त उतर जाता है।
यदि किसी व्यक्ति का जी मचल रहा हो या उल्टी हो रही हो, तो उसे इलायची भूनकर खाना चाहिए। यह उसके लिए हितकारी होगा।
|