व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
|
4 पाठकों को प्रिय 139 पाठक हैं |
सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
अन्त में कुछ वनस्पतियों के भी कुछ प्रमुख-प्रमुख औषधिक महत्व समझिये-
(1) अपामार्ग Achyranthus aspera - बिच्छू का जहर उतारने में, श्वास रोगों में।
(2) श्वेत आँकड़ा Calotropis procera- जोड़ों के दर्द में, श्वास रोगों में।
(3) प्याज Allium Cepa- सर्दी में, नेत्र विकारों में, लू से बचने के लिए।
(4) लौंग Schizygium aromaticum - सर्दी में, रक्तचाप में, दाँतों के दर्द में।
(5) अमलतास Cassia fistula- पेट के रोगों में रामबाण।
(6) आम Magnifera Indica- पेट के रोगों में, विशेष उपयोगी।
(7) गुड़हल Hibiscus ros sinesis- बालों की सुन्दरता हेतु।
(8) गुलाब Rosa centifolia- गुलाबजल, गुलकन्द के उपयोग में।
(9) निर्गुण्डी Vitex nigundo- रयूमेटिज्म में।
(10) पियाबाँसा (बज्रदन्ती) Barleria prionitis- दाँतों की मजबूती में।
(11) बेर Ziziphus jujuba - बालों के कृष्णीकरण में।
(12) नीम Melia azadirach - त्वचा रोगों में खून साफ करने में।
(13) कुरंज Pongamia glabra - दाँतों की मजबूती के लिए।
(14) बेला Aegle sps - दुर्गन्ध दूर करने के लिए।
(15) पलाश Butea frondosa- पथरी में।
और ऐसे अनेक पौधे हैं, जो कि हमारे आस-पास पाये जाते हैं। ग्रन्थों में तो यहाँ तक वर्णित है, कि प्रकृति में कोई भी पौधा ऐसा नहीं है, जिसके औषधिक महत्व न हों।
पुन: हमारे ग्रन्थों में औषधिक महत्व के पौधों को खोदकर लाने के लिए भी नियम हैं, जो निम्नानुसार है-
(1) औषधि हेतु पौधे के भाग को शुभ मुहूर्त में निकाला जाता है।
(2) श्मशान व कब्रिस्तान आदि स्थानों के पौधे औषधिक महत्व के नहीं होते हैं।
(3) पौधों या उनके भागों को काटने हेतु लोहे का प्रयोग वर्जित है।
(4) अमावस्या में इन पौधों को निकालना वर्जित है। इसके विपरीत, पूर्णिमा को उन्हें निकालना उत्तम है।
आज मनुष्य का सर्वांगीण विकास हो रहा है। वह चाँद पर पहुँच गया है और मंगल ग्रह पर पहुँचने की तैयारी में है, किन्तु हमारे भारत की इन प्राचीन औषधियों की तरह क्या किसी का ध्यान जायेगा?
¤ ¤ रवि पाटीदार
|