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चमत्कारिक दिव्य संदेश

उमेश पाण्डे

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :169
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9682
आईएसबीएन :9781613014530

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सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।

सन् 1657 में एक अन्य खगोल शास्त्री, हाईमिन्स ने इन कानों का कारण खोजा यानि ये वास्तव में वे छल्ले है, जो शनि के इर्द-गिर्द हैं। यह तो थी सन् 1600 की बातें, जिन्हें 350-400 साल बीत गये। अब तक जानकारियों का अम्बार लग चुका है। आओ, इन जानकारियों में सेंध लगाते हैं और देखते हैं कि ये हमारे भयंकर शक्तिशाली शनि महाराज आखिर हैं क्या?

यह कि शनि ग्रह वास्तव में बहुत बड़ा ग्रह है। इसका आयतन पृथ्वी से 744 गुना है, यानि शनि में 744 पृथ्वियाँ समा सकती हैं।

एक विचित्र किन्तु मजेदार बात, जैसा कि हम जानते हैं कि पानी में चीजें तैरती हैं। हर पदार्थ का एक गुण होता है, वह है उसका घनत्व। पानी का घनत्व 1 है। जिस किसी वस्तु का घनत्व पानी से कम है, जैसे लकड़ी, कार्क इत्यादि का, वह पानी पर तैरती है। पृथ्वी का घनत्व 5,6 है। अब सुनो, शक्तिशाली शनि महाराज का घनत्व पानी से भी कम है यानि 0.7 । इसका मतलब यह हुआ कि अगर शनि महाराज किसी विशाल समुद्र में गिर पड़े तो सतह पर ही तैरते रहेंगे। इस हल्केपन का कारण? वह यह कि शनि मूलतः गैस का एक गोला है, हाइड्रोजन गैस का।

शनि महाराज का तापमान है -1500 डिग्री सेल्सियस, अर्थात् 0 डिग्री सेल्सियस से 1500 से कम। मतलब बर्फ से भी खूब ठण्डा।

शनि का मुख्य आकर्षण है, इसके इर्द-गिर्द की अँगूठीनुमा रचना। यह छल्ला एक छोर से दूसरे छोर तक कितना बड़ा है, इसका व्यास क्या है? जरा साँस रोको और पढो, 2,79,000 किलोमीटर। यह दूरी पृथ्वी से चाँद तक की दूरी के तीन चौथाई के बराबर है। इतने विशाल छल्ले की मोटाई भी खूब होनी चाहिए थी, लेकिन नहीं मोटाई 10 किलोमीटर से भी कम है।

क्या है आखिर इस विशाल छल्ले में? 1979 में पायोनियर अन्तरिक्ष यान इस छल्ले के बीचों-बीच से निकला और खूब सारी बातें पता कीं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि ये छल्ले पत्थर के टुकडों जैसे बर्फीली छल्लों से भरे हुए हैं। मतलब यह कि हमें यहाँ से दिखने वाले सुन्दर छल्ले वास्तव में शनि के इर्द-गिर्द बर्फीले छल्लों से बने हैं। ये छल्ले कैसे बने, यह किसी को नहीं मालूम। एक मत तो यही है कि शनि के कुछ उपग्रह टूटकर इस रूप में बदल गए होंगे। इस छल्लों के अलावा शनि के 10 और अन्य उपग्रह हैं।

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