व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> चमत्कारिक दिव्य संदेश चमत्कारिक दिव्य संदेशउमेश पाण्डे
|
4 पाठकों को प्रिय 139 पाठक हैं |
सम्पूर्ण विश्व में भारतवर्ष ही एक मात्र ऐसा देश है जो न केवल आधुनिकता और वैज्ञानिकता की दौड़ में शामिल है बल्कि अपने पूर्व संस्कारों को और अपने पूर्वजों की दी हुई शिक्षा को भी साथ लिये हुए है।
हाँ तो यह थी गैस से बने और छल्ले वाले शनि महाराज की वैज्ञानिक कहानी। इसी ग्रह के कारण हमारे देश में कई लोग शनिवार को लोहा या तेल नहीं खरीदते हैं। भला क्या है, ऐसी बात जिससे इतना भय है और जो शनि महाराज के नाम से लोगों में प्रचारित किया जाता है?
यह शनि ज्योतिषीय दृष्टि से एक महत्वपूर्ण ग्रह है। यह जिस राशि में रहता है उससे एक पहले और एक बाद वाली तथा जिसमें होता है, इन तीन राशियों पर अपनी शनि की साढ़े साती का प्रभाव डालता है। शनि की साढ़े साती के शुभ एवं अशुभ दोनों प्रकार के फल होते हैं जो कि पत्रिका में शनि की स्थिति के आधार पर कम या ज्यादा मिलते हैं। शनि के कुप्रभाव के कारण घर में अनेक प्रकार के उत्पात, स्वास्थ्य हानि, धन हानि, मान-प्रतिष्ठा में कमी आना, चिन्ताएँ, विवाद इत्यादि लक्षण प्रकट होते हैं। हालाँकि शनि से हमें भयभीत नहीं होना चाहिए क्योंकि- शनि शुभ भी होता है।
शनि के शुभ प्रभाव के जातक कुरूप नहीं होते। कुछ तो बड़े रूपवान होते हैं। उनका शुक्र बली होता है। विचारशील, संयमी, समय के पाबन्द, हर काम को सोच-विचार कर धीमी गति से किन्तु लगन से करने वाले, कर्त्तव्यपरायण, न्यायप्रिय, निष्पक्ष, मौलिक, स्वतन्त्र विचार वाले, गम्भीर, काम अधिक बातें कम करने वाले, एकान्तप्रिय किसी व्यक्ति या बात पर बिना जाँच-परख किये विश्वास न करने वाले होते हैं। उन्हें संदेह हमेशा बना रहता है। अपने काम पर भी सन्देह रहता है इसलिए उसे भी 'चेक' करते हैं। शोध कार्य, विश्लेषण, समीक्षा की अद्भुत प्रतिभा होती है। कार्य आरम्भ कर उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। गम्भीर, शान्त, मनन-चिन्तन में लीन रहते हैं। लोगों से मिलना-जुलना या गप्पें मारना पसन्द नहीं करते। इसलिए उनके मित्र कम होते हैं। आमोद-प्रमोद को महत्व नहीं देते। प्रायः क्रोध प्रकट नहीं करते। हमेशा सतर्क रहते हैं। संसार के प्रति उनका दृष्टिकोण यथार्थवादी होता है। इसका यह अर्थ नहीं कि उनमें संवेदनशीलता नहीं है। सामान्य लोगों से अधिक संवेदनशील होते हैं। दूसरों की सहायता करके उसे प्रकट करते हैं। वे स्वयं को ही नहीं दूसरों को भी स्वतन्त्र देखना चाहते हैं। गरीबों, पीड़ितों के वे मसीहा होते हैं। वे घर में शान्त और अनुशासनप्रिय होते हैं। जिससे लोग उन्हें कठोर समझते हैं। स्त्रियों को विशेष महत्व नहीं देते। उनकी सेक्स एनर्जी रचनात्मक कार्यों में लगती है।
|