Kranti Ka Devta : Chandrashekhar Azad - Hindi book by - Jagannath Mishra - क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद - जगन्नाथ मिश्रा
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जीवनी/आत्मकथा >> क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

क्रांति का देवता चन्द्रशेखर आजाद

जगन्नाथ मिश्रा

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :147
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9688
आईएसबीएन :9781613012765

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चंद्रशेखर आजाद की सरल जीवनी

इस वीर के शहीद होने और घर के भीतर से कोई गोली न आने पर भी, पुलिस वालों ने वहुत डरते-डरते घर के भीतर कदम रखा। कोना-कोटा छान मारा लेकिन आजाद न मिले। वे निराशा में हाथ मलते हुए, शुक्ल के शव और कुछ घायत पुलिस वालों को लेकर चले गये।

भगतसिंह और राजगुरु तो उसी दिन दिल्ली चले गए, किन्तु आजाद किसी काम से दो दिन के लिए कानपुर में ही ठहर गए। इस घटना के तीसरे दिन पुलिस वालों को पता चला, चन्द्रशेखर आजाद माल रोड पर कहीं जा रहे हैं। उन्होंने पीछा किया किन्तु वह उनके हाथ नहीं आये।

सचमुच ही आजाद उस समय माल रोड पर होकर दिल्ली जाने के लिए, स्टेशन जा रहे थे। किसी मुखबिर ने पता ठीक ही दिया था। किन्तु वह भेष वदलने में इतने प्रवीण थे कि चलते- चलते वदल लेते थे। मुखविर ने पुलिसवालों को उनके जिस भेष का पता दिया था उन्हें उस भेष का वहाँ कोई आदमी ही नहीं मिला। वह आजाद के पास से होकर निकल गए किन्तु उन्हें पहचान ही न सके। इस तरह वह पुलिसवालों को चकमा देकर स्टेशन पहुंचे और दिल्ली जाने वाली दिल्ली मेल में सवार होकर दिल्ली को चल दिए। उधर पुलिस ने कानपुर नगर का कोना-कोना छान मारा। बहुत लोगों से पूछताछ की किन्तु सब व्यर्थ। माता जगरानी देवी से पूछा। उन्होंने सच-सच बता दिया कि वह दो वर्प बाद यहां आया था और घंटे भर बाद ही कहीं चला गया। इससे अधिक मैं कुछ नहीं जानती। उन्हें अधिक तंग करने का साहस नहीं था। वह शेर की माँ थी, कौन अपनी जान गवाने को तैयार हो !

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