व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं
समर्थ
साक्षात्कार लेने बैठे तीनों अधिकारी नए प्रार्थी को देखकर चौंक गए. ....
बैठिए... बैठिए.....
'थैंक यू सर, थैंक यू......' बैठते हुए उदय ने आभार प्रकट किया। तीनों अधिकारी उदय के प्रार्थना पत्र तथा संलग्न दस्तावेजों को उलट-पलट कर देख रहे थे।
एक अधिकारी ने पूछ ही लिया- बेटे तुमने अपने प्रार्थना-पत्र में कहीं भी अपनी विकलांगता का जिक्र नहीं किया।
'जी नहीं श्रीमान् जी,' उदय ने सहजता से कहा।
'क्यों भई, यदि तुमने अपनी विकलांगता का प्रमाण-पत्र लगा दिया होता तो आपकी नियुक्ति हो ही जाती।'
'सर- विकलांग होने का लाभ लिए बिना ही मेरी नियुक्ति हो जाएगी,' पूरे आत्म विश्वास के साथ उदय ने कहा। सुनकर तीनों फिर चौंक गए।
'तुम्हारा आत्म विश्वास देखकर हम बहुत खुश हुए फिर भी यदि आपने अपनी विकलांगता का प्रमाण पत्र लगा दिया होता तो अतिरिक्त लाभ मिलता' अधिकारी ने समझाते हुए कहा।
'सर मेरा तो काम चल जाएगा। इस विकलांग आरक्षित सीट का लाभ मेरे किसी भाई को मिल जाए तो अधिक अच्छा रहेगा।' उदय ने विनम्रतापूर्वक कहा।
'बेटे मैं तुम्हारी भावनाओं की कद्र करता हूँ। जाईए हो गया तुम्हारा इन्टरव्यू। कमेटी के मुखिया ने खड़े होकर अपना हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया।
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