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व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला

हौसला

मधुकांत

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9698
आईएसबीएन :9781613016015

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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं

चिड़िया


अनार के पेड़ पर बैठी चिड़िया बार बार चीं-चीं करती हुई फुदक रही थी। उसे देखकर रेआंश ताली बजाकर चिल्लाने लगा- नन्हीं चिड़िया.. नन्हीं चिड़िया.. तुरन्त वह चिल्लाने लगा.... लंगड़ी चिड़िया...।

पास बैठी मां ने टोका- बेटे चिड़िया को ऐसे नहीं बोलना चाहिए। 'मम्मा इसकी एक टांग कहाँ चली गयी?'- रेआंश ने पूछा।

'चूहा ले गया'- बहकाते हुए मम्मा ने कहा।

'माँ, आप तो डाक्टर हो, इसको नयी टांग लगा दो ना- प्लीज मम्मा।'

'रेआंश ऐसा नहीं हो सकता, बेटे' अपने हाथ का काम छोड़कर मम्मा उसके पास आ गयी।

बेचारी को कितनी प्रोब्लम होती होगी। मम्मा आज ही इसको दूसरी टांग लगा दो, नहीं तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगा'- जिद्‌द पूर्वक वह कमरे के कोने में जा खड़ा हुआ।

डॉ. बिमला की समझ में नहीं आ रहा था। अपने बेटे रेआंश को कैसे समझाये। अनार के पेड़ पर लंगड़ी चिड़िया अब भी एक पांव से फुदक रही थी।


० ० ०


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