व्यवहारिक मार्गदर्शिका >> हौसला हौसलामधुकांत
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नि:शक्त जीवन पर लघुकथाएं
लंगड़ी कुतिया
कोई भी गाड़ी उस गली से गुजरती तो लंगड़ी कुतिया भौं-भौं करती हुई उसके पीछे
भागती। जब तक गाड़ी गली के मोड़ पर जाकर आँखों से ओझल न हो जाती तब तक वह
भौंकती रहती।
जब उसके बच्चे बड़े हुए तो वो भी ऐसा ही करने लगे। ज्यों-ज्यों अधिक गाड़ियों का आना-जाना हुआ वैसे ही लंगड़ी कुतिया के परिवार की संख्या भी बढ़ने लगी।
आज जैसे ही उनकी गाड़ी गुजरी तो सभी जोर-जोर से भौंकते हुए उसके पीछे भागने लगे।
दादू जब कोई गाड़ी जाती है तो ये कुत्ते भौंकते हुए क्यों पीछा करते हे?- रोहण ने अपने दादू से पूछा।
'बेटा किसी गाड़ी वाले ने इस कुतिया के पांवों को कुचल दिया था तब से यह प्रत्येक गाड़ी वाले को भौंकती है- दादू ने गाड़ी चलाते हुए समझाया।
पर दादू क्यों?
उसको डर है कि कोई गाड़ी वाला उसके बच्चों के पांव न कुचल दे इसलिए यह भौंक-भौंक कर गाड़ियों को बाहर निकाल देती है।
गाड़ी लौट जाने के बाद लंगड़ी कुतिया का परिवार इतमिनान से वापस लौट गया।
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