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संभोग से समाधि की ओर

ओशो

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 97
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


एक करोड़ रुपए की संपत्ति जलाने में जो आदमी जितना अपराधी हो जाता है, उससे भी ज्यादा अपराधी एक करोड़ रुपए यज्ञ में जलाने से होता है। क्योंकि एक करोड़ रुपए की संपत्ति को जलाने वाला थोड़ा-बहुत अपराध भी अनुभव करेगा। यज्ञ मे जलाने वाले पायस क्रिमिनल है, पवित्र अपराधी हैं! उनको अपराध भी नहीं मालूम पड़ता है!
लेकिन युवक मुल्क में नहीं है, इसलिए किसी भी तरह की मूढ़ता चलती हैं, इसलिए मुल्क में किसी भी तरह का अधिकार चलता है,। युवकों के होने का सबूत नहीं मिलता देश को देखकर! क्या चल रहा है देश में? युवक किसी भी चीज पर राजी हो जाते हैं।
वह युवक कैसा जिसके भीतर विद्रोह न हो, रिवोल्युशन न हो? युवक होने का मतलब क्या हुआ उसके भीतर? जो गलती, के सामने झुक जाता हो, उसको युवक कैसे कहें?
जो टूट जोता हो लेकिन झुकता न हे, जो मिट जाता हो लेकिन गलत को बरदाश्त न करता हो वैसी स्पिरिट वैसी चेतना का नाम ही युवक होना है।

टु बी यंग-युवा होने का एक ही मतलब है।

वैसी आत्मा विद्रोही को, जो झुकना नहीं जानती, टूटना जानती है, जो बदलना चाहती है। जो जिंदगी को नयी दिशाओं मे, नए आयामों मे ले जाना चाहते हैं, जो जिंदगी को परिवर्तित करना चादते हैं। क्रांति की वह उद्दाम आकांक्षा ही युवा होने के लक्षण हैं।
कहां है क्रांति की उद्यम आकांक्षा?
एक विचारक भारत आया था, काउंट केसरलै। लौटकर उसने एक किताब लिखी है। उस किताब को में पढ़ता था तो मुझे बहुत हैरानी होने लगी। उसने एक वाक्य लिखा है, जो मेरी समझ से बाहर हो गया, क्योंकि वाक्य कुछ ऐसा मालूम पड़ता था, जो कि कट्राडिक्टरी है, विरोधाभासी है।
फिर मैंने सोचा कि छापेखाने की कोई भूल हो गयी होगी। तो खयाल आया कि किताब जर्मनी में छपी है। जर्मनी में छापेखाने की तो भूलें होती नहीं। वह तो हमारे ही देश में होती हैं। यहां तो किताब छपती है, उसके ऊपर पांच-छः पन्ने की भूल-सुधार छपी रहती है और उन पांच-छह पन्नों को गौर से पढ़िए तो उसमे भूलें मिल जाएंगी! वह किताब जर्मनी में छपी है, भूल नहीं हो सकती।
फिर मैंने गौर से पढ़ा, फिर बार-बार सोचा, फिर खयाल आया भूल नहीं की है, उस आदमी ने मजाक की हैं। उसने लिखा है कि मैं हिंदुस्तान गया। मैं एक नतीजा लेकर वापस आया हूं, 'इंडिया इज ए रिच कंट्री, व्हेअर पुअर पीपुल लिव।' हिदुस्तान एक अमीर देश है. जहां गरीब आदमी रहते हैं!
मैं बहुत हैरान हुआ, यह कैसी बात है! अगर देश अमीर है तो गरोब आदमों क्यों रहते हैं वहां? और देश अगर अमीर है तो वही के लोग गरीब क्यों है? लेकिन वह मजाक कर रहा है। वह यह कह रहा है कि हिंदुस्तान के पास जवानों नहीं है, जो कि देश के छिपे हुए धन को प्रकट कर दे और देश को धनवान बना  दे। देश में धन छिपा हुआ है, लेकिन देश बूढ़ा है।
बूड़ा कुछ कर नहीं सकता। धन खजाने में पड़ा रह जाता है, बूढ़ा भूखा मरता रहता है। धन जमीन में दबा रह जाता है, बूढ़ा भूखा मरता है! देश बूढा है, इसलिए गरीब है। देश जवान हो तो गरीब होने का कोई कारण नहीं! देश के पास क्या कमी है?
लेकिन अगर हमें कुछ सूझता हैं तो एक ही बात सूझती है कि जाओ दुनिया में और भीख मांगो। जाओ अमरीका, जाओ रूस, हाथ फैलाओ सारा दुनिया मे।। भिखारी होने में हमें शर्म भी नहीं आती! हम जवान हैं?

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