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संभोग से समाधि की ओर

ओशो

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 97
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


रामतीर्थ बेचैन हो गए। यह आदमी पागल है, 90 साल की उम्र में चीनी भाषा सीखने बैठा है, कब सीख पाएगा? आशा नहीं कि मरने के पहले सीख जाएगा। और अगर कोई दूर की कल्पना भी करे कि यह आदमी जा जाएगा दस-पंद्रह साल, सौ माल पार कर जाएगा, जो कि भारतीय कभी कल्पना नहीं कर सकता कि सौ साल पार कर जाएगा। 35 साल पार करना तो मुश्किल हो जाता है, सौ कैसे पार करोगे? लेकिन समझ लें भूल-चूक भगवान की, कि यह सौ साल से पार निकल जाएगा तो भी फायदा क्या है? जिस भाषा को सीखने में 15 वर्ष खर्च हों, उसका उपयोग भी तो दस-पच्चीस वर्ष करने का मौका मिलना चाहिए। सीखकर भी फायदा क्या होगा?
दो-तीन दिन देखकर रामतीर्थ की बेचैनी बढ़ गयीं। वह बूढ़ा तो आंख उठाकर भी नहीं देखता था कि कहीं क्या हो रहा है वह तो अपने सीखने में लगा था। तीसरे दिन उन्होंने जाकर उसे हिलाया और कहा कि महाशय, क्षमा करिए, मैं
पूछता हूं कि आप यह क्या कर रहे हैं? इस उम्र में चीनी भाषा सीखने बैठे हैं? कब सीख पाइएगा और सीख भी लिया तो इसका उपयोग कब करिएगा? आपकी उम्र क्या है?

तो उस बूढ़े ने कहा उम्र? मैं काम में इतना व्यस्त रहा कि उम्र का हिसाब रखने का कुछ मौका नहीं मिला। उम्र अपना हिसाब रखता होगी। हमें फुर्सत कहा कि उम्र का हिसाब रखें। और फाएदा क्या है उम्र का हिसाब रखने में? मौत जब आनी है, तब आनी है। तुम चाहे कितने हिसाब रखो, कि कितने हो गए उससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है। मुझे फुर्सत नहीं मिली उम्र का हिमाब रखने की, लेकिन जरूर नब्बे तो पार कर गया हूं।
रामतीर्थ ने कहा कि फिर यह सीखकर क्या फाएदा? बूढ़े हो! अब कब सीख पाओगे? उस बूढ़े आदमी ने क्या कहा? उसने कहा, मरने का मुझे खयाल नहीं आता, जब तक मैं सीख रहा हूं। जब सीखना खत्म हो जाएगा तो सोचूंगा मरने की बात। अभी तो सीखने में जिंदगी लगा रहा हूं अभी तो मैं बच्चा हूं क्योंकि मैं सीख रहा हूं। बच्चा सीखता है। लेकिन उस बूढ़े ने कहा कि चूंकि मैं सीख रहा हूं इसलिए बच्चा हूं।
यह आध्यात्मिक जगत में परिवर्तन हो गया।
उसने कहा चूंकि मैं सीख रहा हूं और अभी सीख नहीं पाया, अभी तो जिंदगी की पाठशाला में प्रवेश किया है। अभी तो बच्चा हूं अभी से मरने की कैसे सोचें? जब सीख लूंगा, तब सोचूंगा मरने की बात।
फिर उस बूढ़े ने कहा मौत हर रोज सामने खड़ी है। जिस दिन पैदा हुआ था, उस दिन उतनी ही सामने खडी थी, जितनी अभी खड़ी है। अगर मौत से डर जाता तो उसी दिन सीखना बंद कर देता। सीखने का क्या फायदा था। मौत आ सकती है कल, लेकिन 90 साल का अनुभव मेरा कहता है कि मैं 90 साल मौत को जीता हूं। रोज मौत का डर रहा है कि कल आ जाएगी, लेकिन आयी नहीं। 9० साल तक मौत नहीं आयी तो कल भी कैसे आएगी? 9० साल का अनुभव कहता है कि अब तक नहीं आयी तो कल भी कैसे आ पाएगी? अनुभव को मानता हूं। 90 साल तक डर फिजूल था। वह बूढ़ा पूछने लगा रामतीर्थ से आपकी उम्र क्या है?
रामतीर्थ तो घबरा ही गए थे उसकी बात सुनकर। उनकी उम्र केवल 30 वर्ष थी।
उस बूढ़े ने कहा, तुम्हें देखकर, तुम्हारे भय को देखकर मैं कह सकता हूं, भारत बूढ़ा क्यों हो गया। तीस साल का आदमी मौत की सोच रहा है! मर गया। मौत की सोचता कोई तब है, जब मर जाता है। तीस साल का आदमी सोचता है कि
सीखने से क्या फायदा, मौत करीब आ रही है! यह आदमी जवान नहीं रहा; उस बूढ़े ने कहा, मैं समझ गया कि भारत बूढ़ा क्यों हो गया है? इन्ही गलत धारणाओं के कारण।
भारत को एक युवा आध्यात्म चाहिए। युवा आध्यात्म। बूढ़ा आध्यात्म हमारे पास बहुत है। हमारे पास ऐसा आध्यात्म है, जो बूढ़ा करने की कीमिया है, कमिस्ट्री है। हमारे पास ऐसी आध्यात्मिक तरकीबें हैं कि किसी भी जवान के आसपास उन तरकीबों का उपयोग करो, वह फौरन बूढ़ा हो जाएगा। हमने बूढे होने का राज खोज लिया है, सीक्रेट खोज लिया है। बूढे होन का क्या राज है?

बूढ़ा हौने का राज है : जीवन पर ध्यान मत रखो, मौत पर ध्यान रखो। यह पहला सीक्रेट है। जिंदगी पर ध्यान मत देना, ध्यान रखना मौत पर। जिदगी की खोज मत करना, खोज करना मोक्ष की। इस पृथ्वी की फिक्र मत करना, फिक्र करना परलोक की, स्वर्ग की। यह बूढ़ा होने का पहला सीक्रेट है। जिन-जिन को बूढ़ा होना हो, इसको नोट कर लें। कभी जिदगी की तरफ मत देखना। अगर फूल खिल रहा हो तो तुम खिलते फूल की तरफ मत देखना, तुम बैठकर सोचना कि जल्द ही यह मुरझा जाएगा। यह बूढ़े होने की तरकीब है।

अगर एक गुलाब के पौधे के पास खड़े हों तो फूलों की गिनती मत करना, कांटों की गिनती करना कि सब असार है, कांटे हो कांटे पैदा होते है एक फूल खिलता है, मुश्किल से हजार कांटों में। हजार कांटों की गिनती कर लेना। उससे जिंदगी असार सिद्ध करने में बड़ी आसानी मिलेगी।
अगर दिन और रात को देखो, तो कभी मत देखना कि दो दिन के बीच एक रात है। हमेशा ऐसा देखना कि दो रातों के बीच में एक छोटा-सा दिन है।
बूढ़े होने की तरकीब कह रहा हूं। जिदगी में जहां अंधेरे हों, उनको मैग्नीफाई करना। बड़ा दिखाने वाला कांच अपने पास रखना, जहा अंधेरा दिखाई पड़े, फौरन मैग्नीफाई ग्लास लगा देना, बड़ा भारी अंधेरा देखना है और तनहा रोशनी दिखाई पड़े, वहां छोटा कर देनेवाला ग्लास अपने पास रखना, जो जल्दी से रोशनी को छोटा कर दे। जहां फूल दिखाई पड़े, गिनती मत करना ओर फौरन सोच लेना क्या रखा है फूल में? क्षणभर को है, अभी खिला है, अभी मुरझा जाएगा। और कांटा स्थायी है, शाश्वत है, सनातन है, न कभी खिलता है, न कभी मुरझाता है। हमेशा है। इन बातों पर ध्यान देने से आदमी बहुत जल्दी बूढ़ा हो जाता है।

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