पद पर पहुंच जाए कोई, तो एक तरह की निर्भयता आ जाती है। दुनिया भर के सब
भयभीत लोग पदों की खोज करते हैं। पद एक सुरक्षा देता है। अगर मैं राष्ट्रपति
हो जाऊं तो जितना सुरक्षित रहूंगा, बिना राष्ट्रपति हुए नही रह सकता।
राष्ट्रपति के लिए सब भयभीत लोग हैं सब दौड़ करते रहते है। डर गए हैं। भय है
अकेले होने का। सुरक्षा चाहिए इंतजाम चाहिए। जिनको हम बहुत बड़े-बड़े पदों पर
देखते हैं यह मत सोचना कि यह किसी निर्भयता के बल पर वहां पहुंच जाते हैं। वे
निर्भयता के अभाव में ही पहुंचते हैं भीतर भय है।
हिटलर के संबंध में मैंने सुना है कि हिटलर अपने कंधे पर हाथ किसी को भी नहीं
छुआ सकता है। इसीलिए शादी भी नहीं की, कम-से-कम स्त्री को तो छुआना ही पड़ेगा।
शादी से डरता रहा कि शादी की, तो पत्नी तो कम-से-कम कमरे में सोएगी, लेकिन
भरोसा क्या है कि पत्नी रात में गर्दन न दबा दे। हिटलर दिखता होगा बहुत
बहादुर आदमी।
ये बहादुर आदमी सब दिखते हैं। यह सब बहादुरी बिल्कुल ऊपरी है, भीतर बहुत डरे
हुए आदमी हैं।
हिटलर किसी से ज्यादा दोस्ती नहीं करता था, क्योंकि दोस्त के कारण जो सुरक्षा
है, जो व्यवस्था है, वह टूट जाती है। दोस्तों के पास बीच के फासले टूट जाते
हैं। हिटलर के कंधे पर हाथ कोई भी नहीं रख सकता था। हिटलर या गोयबल्स भी
नहीं। कंधे पर हाथ कोई भी नहीं रख सकता है। एक फासला चाहिए एक दूरी चाहिए।
कंधे पर हाथ रखने वाला आदमी खतरनाक हो सकता है। गर्दन पास ही है, कंधे से
बहुत दूर नहीं है।
एक औरत हिटलर को बहुत प्रेम करती रही। लेकिन भयभीत लोग कहीं प्रेम कर सकते
हैं? हिटलर उसे टालता रहा, टालता रहा, टालता रहा। आप जानकर हैरान होंगे, मरने
के दो दिन पहले, जब मौत पक्की हो गई, जब बर्लिन पर बम गिरने लगे, तो हिटलर
जिस तलघर में छिपा हुआ था उसके सामने दुश्मन की गोलियां गिरने लगीं और दुश्मन
के पैरों की आवाज बाहर देने लगी, द्वार पर युद्ध होने लगा और जब हिटलर को
पक्का हो गया कि निश्चित है, अब मरने से बचने का कोई उपाय नहीं है तो उसने
पहला काम यह किया कि एक मित्र को भेजा और कहा कि जाओ आधीरात को उस औरत को ले
आओ। कहीं कोई पादरी सोया-जगा मिल जाए उसे उठा लाओ। शादी कर लूं। मित्रों ने
कहा, यह कोई समय है शादी करने का? हिटलर ने कहा अब कोई भय नहीं है, अब कोई भी
मेरे निकट हो सकता है, अब मौत बहुत निकट है। अब मौत ही करीब आ गई है, तब किसी
को भी निकट लिया जा सकता है।
दो घंटे पहले हिटलर ने शादी की तलघर में! सिर्फ मरने से दो घंटे पहले।
तो पुरोहित और सेक्रेटरी को बुलाया था। उनकी समझ के बाहर हो गया कि यह किसलिए
शादी हो रही है? इसका प्रयोजन क्या है? हिटलर होश में नही है। पुरोहित ने
किसी तरह शादी करवा दी है। और दो घंटे बाद उन्होंने जहर खाकर सुहागरात मना ली
है और गोली मार ली है-दोनों ने! यह आदमी मरते वक्त तक विवाह भी नहीं कर सका,
क्योंकि दूसरे आदमी का साथ रहना, पास लेना खतरनाक हो सकता है।
दुनिया के जिन बड़े बहादुरों की कहानियां हम इतिहास में पढ़ते हैं, बड़ी झूठी
हैं। अगर दुनिया के बहादुरों के भीतरी मन में उतरा जा सके तो वहां भयभीत आदमी
मिलेगा। चाहे नादिर हो, चाहे चंगेज हो, चाहे तैमूर हो, वहां भीतर भयभीत आदमी
मिलेगा।
नादिर लौटता था आधी दुनिया जीतकर, और ठहरा है एक रेगिस्तान में। रात का वक्त
है। रात को सो नहीं सकता था। कैसे सोता? डर सदा भीतर था। तंबू में सोया। चोर
घुस गए तंबू में। नादिर को मारने नहीं आए हैं। कुछ संपत्ति मिल जाए लेने को
घुस गए हैं। नादिर घबड़ाकर बाहर निकला है। भागा है डरकर, तंबू की रस्सी में
पैर फंसकर गिर पड़ा है और मर गया है।
वे जो बड़े पदों की खोज में, बड़े धन की खोज में, बड़े यश की खोज में-लोग लगे
हैं वे सिर्फ सुरक्षा खोज रहे हैं। भीतर एक भय है। इंतजाम कर लेना चाहते हैं।
भीतर एक दीवाल बना लेना चाहते हैं कोई डर नहीं है। कल बीमारी आए गरीबी आए
भिखमंगी आए मृत्यु आए कोई डर नहीं है। सब इंतजाम किए लेते हैं। कुछ लोग ऐसा
इंतजाम करते हैं, कुछ लोग भीतरी इंतजाम करते हैं!
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