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संभोग से समाधि की ओर

ओशो

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प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2014
पृष्ठ :440
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 97
आईएसबीएन :9788171822126

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संभोग से समाधि की ओर...


नीत्शे ने तो एक अद्भुत बात लिखी है जो बहुत खतरनाक है। किसी को बुरी भी लग सकती है। नीत्शे ने कई बातें लिखी हैं; मैं मानता हूं सच हैं। उसने तो प्रोज में लिखी है और गाली देने के इरादे से लिखी है, लेकिन बात सच है। नीत्शे ने लिखा है कि बुद्ध और क्राइस्ट को मैं बूमनिस्ट मानता हूं! स्रैण मानता हूं! बुद्ध और क्राइस्ट को मैं स्रैण मानता हूं। मैं पुरुष नहीं मानता। क्योंकि जो लड़ने की बात नहीं करते, और जो लड़ने से बचने की बात करते है वह पुरुष कैसे हो सकते हैं? पुरुषत्व तो लड़ने में है।
नीत्शे ने कहा मैंने सुंदरतम जो दृश्य देखा है जीवन में, वह तब देखा, जब सूरज की उगती रोशनी में सिपाहियों की चमकती हुई तलवारें और उनके चमकते हुए बूटों की आवाजें, उनका एक पंक्तिबद्ध रास्ते से गुजरना सूरज की रोशनी का गिरना, और पंक्तिबद्ध उनके पैरों की आवाज और उनकी चमकती हुई संगीनें-मैने उससे सुंदर दृश्य जीवन में दूसरा नहीं देखा।
अगर यह आदमी, और यह मानता है कि ऐसा दृश्य सुंदर है, तो फूल स्त्रैण हो जाएंगे। निश्चित ही, जब चमकती हुई संगीनें सुंदर हैं तो फूल कहां टिकेंगे? फूलों को बाहर कर देना होगा सौंदर्य के।
और जब नीत्शे कहता है, जो लड़ते हैं, और लड़ सकते हैं, और लड़ते रहते हैं, युद्ध ही जिनका जीवन है, वे ही पुरुष हैं तो ठीक है। बुद्ध और क्राइस्ट और महावीर को अलग कर देना होगा। उनकी स्त्रियों में ही गिनता करनी पड़ेगी।

लेकिन दुनिया में जो भी प्रेम के रास्ते से गया हो, उसमें किसी न किसी अर्थों में नीत्शे का कहना ठीक है कि वह स्रैण है। यह अपमानजनक नहीं है। अगर पुरुष ने भी प्रेम किया हो तो, वह जो पुरुष की आम धारणाएं हैं युद्ध की, संघर्ष की, हिंसा की, वायलेंस की, वे गिर जाती हैं। और नयी धारणाएं पैदा होती है-सहयोग की, क्षमा की, प्रेम की।
एक बौद्ध भिक्षु था। उस भिक्षु का नाम था पूर्ण। उसकी शिक्षा पूरी हो गयी। शिक्षा पूरी हो जाने पर बुद्ध ने उससे कहा कि पूर्ण, अब तू जा और मेरे प्रेम की खबर लोगों तक पहुंचा दे। तू उन जगहों में जा जहां कोई भी न गया हो। तू मेरी खबर ले जा प्रेम की। हिंसा की खबरें बहुत पहुंचायी गयी हैं। कोई प्रेम की खबर भी पहुंचाए।
पूर्ण ने बुद्ध के पैर छुए और कहा कि मुझे आज्ञा दें कि मैं सूखा नाम का छोटा-सा बिहार का एक हिस्सा है, वहां जाऊं और आपका संदेश ले जाऊं। बुद्ध ने कहा, वहां तू मत जा तो बड़ी कृपा हो। वहां के लोग अच्छे नहीं हैं। वहां के लोग बहुत बुरे हैं।
पूर्ण ने कहा, तब मेरी वहां जरूरत ही जरूरत है। जहां लोग बुरे है और अच्छे नहीं हैं, वही तो प्रेम का संदेश ले जाना पड़ेगा।
बुद्ध ने कहा फिर मैं तुझसे दो-तीन प्रश्न पूछता हूं। उत्तर दे दे। तब जा। सबसे पहले पूछता हूं, अगर वहां के लोगों ने तेरा अपमान किया, गालिया दीं तो तुझे क्या होगा? पूर्ण ने कहा क्या होगा? मैं सोचूंगा, लोग कितने अच्छे हैं सिर्फ गालियां देते हैं अपमान करते हैं, मारते नहीं हैं। मार भी सकते थे।
बुद्ध ने कहा, यहां तक भी ठीक है। लेकिन अगर वे मारने लगे वे लोग बुरे हैं मार भी सकते हैं। अगर उन्होंने मारा, और तेरे प्रेम के संदेश पर पत्थर फेंके और लकडियां तेरे सिर पर बरसीं तो तुझे क्या होगा?
पूर्ण ने कहा, क्या होगा, मुझे यही होगा कि लोग अच्छे हैं। सिर्फ मारते है, मार ही नही डालते।
बुद्ध ने कहा, मैं तीसरी बात और पूछता हूं। अगर उन्होंने तुझे मार ही डाला तो मरते क्षण में तेरे मन को क्या होगा?
पूर्ण ने कहा, मेरे मन को होगा, कितने भले लोग हैं, मुझे उस जीवन से मुक्त कर दिया, जिसमें चूक हो सकती थी। जिसमें मैं भटक भी सकता था। जिसमें मैं मारने को हो सकता था। उससे मुक्त कर दिया है।

बुद्ध ने कहा, अब तू जा। तेरा प्रेम पूरा हो गया है। और जिसका प्रेम पूरा हो गया है वही युद्ध के विपरीत, हिंसा के विपरीत खबर और हवा ले जा सकता है। तू जा।
स्त्रियां जिस दिन मनुष्य की संस्कृति में समान पुरुष के साथ खड़ी हो सकेंगी और मनुष्य की संस्कृति में आधा दान उनका होगा, उस दिन गणित अकेली चीज नहीं होगी। उस दिन प्रेम भी एक चीज होगी। प्रेम गणित से बिल्कुल उल्टा है। धर्म विज्ञान से बिल्कुल उल्टा है। गणित की और ही दुनिया है।

मिलट्री में हम आदमियों के नाम हटा देते हैं। अगर आप भर्ती हो गए है या मै भर्ती हो गया हूं तो 11, 12, 15 ऐसे नंबर हो जाएंगे। जब एक आदमी मरेगा तो मिलटी के बाहर नोटिस लग जाएगा, 12 नबर गिर गया। आदमी नही मरता मिलटी में। सिर्फ नंबर मरते हैं! आदमी के ऊपर भी हम नंबर लगा देते हैं तो फर्क बहुत ज्यादा है।

अगर पता चले कि फलां आदमी मर गया जिसकी पत्नी है, जिसके दो बेटे हैं, जिसकी बूढी मां है, वे सब असहाय हो गए। फलां आदमी मर गया तो एक आदमी की तस्वीर उठती है। लेकिन 12 नंबर की न कोई पत्नी होती है, न कोई बेटे होते हैं। नंबर की कहीं पत्नियां और बेटे हुए हैं? नंबर बिल्कुल नंबर है। जब  12 नंबर गिरने का बोर्ड पर नोटिस लगता है तो लोग पढ़कर निकल जाते हैं।

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