गणित का एक सवाल जैसा होता है कि इतने नंबर गिर गए। इतने नंबर खत्म हो गए।
दूसरे नंबर उनकी जगह खड़े हो जाएंगे। 12 नंबर दूसरे आदमी का लग जाएगा। दूसरा
आदमी बारह नंबर की जगह खड़ा हो जाएगा। गणित में रिप्लेसमेंट संभव है। जिंदगी
में तो नहीं। एक आदमी मरा, उसको अब दुनिया में कोई दूसरा आदमी उसकी जगह
रिप्लेस नहीं हो सकता। लेकिन गणित में कोई कठिनाई नहीं है। गणित में हो सकता
है। इसलिए तो मिलट्री में तकलीफ नहीं है। नंबर ही गिरते हैं, नंबर ही मरते
है। और हमने पूरी व्यवस्था की है, गणित से सोचने वाला आदमी जो व्यवस्था करता
है, वह इतनी ही कठोर यांत्रिक, मेकेनिकल और इतनी ही जड़ होती है।
मैंने सुना है कि जिस आदमी ने सबसे पहले एवरेज का नियम खोजा-जब कोई आदमी कोई
नया नियम खोज लेता है तो बड़ी उत्सुकता से भर जाता है। हम तो जानते हैं,
आर्कमिडीज तो नंगा ही बाहर निकल आया अपने टब के, और चिल्लाने लगा युरेका,
युरेका, मिल गया, मिल गया। और भूल गया कि वह कपड़े नहीं पहने है, इतनी खुशी से
भर गया।
जिस आदमी ने एवरेज का सिद्धांत खोजा, वह भी इतनी ही खुशी से भर गया होगा। जिस
दिन उसने सिद्धांत खोजा अपनी पत्नी अपने बच्चों को लेकर खुशी में पिकनिक पर
गया।
एवरेज का मतलब...एवरेज का मतलब है कि हिंदुस्तान में एवरेज आदमी की कितनी
आमदनी है। और मजा यह है कि एवरेज आदमी होता ही नहीं। एवरेज आदमी बिल्कुल झूठी
बात है। एवरेज आदमी कहीं नहीं मिलेगा। एवरेज आदमी एक रुपया है तो आप ऐसा आदमी
नहीं खोज सकते कि जो एवरेज आदमी हो। सोलह आनेवाला मिलेगा सत्रह आनेवाला
मिलेगा पौने सोलह आनेवाला मिलेगा पैसेवाला मिलेगा, भूखा मिलेगा। ठीक एवरेज
आदमी पूरे हिंदुस्तान में खोजने से नहीं मिलेगा। क्योंकि एवरेज गणित से निकली
हुई बात है, आदमी की जिंदगी से नहीं। हम यहां इतने लोग बैठे हैं। हम सब की
एवरेज उम्र निकाली जा सकती है। सब की उम्र जोड़ दी और सब आदमियों की गणना का
भाग दे दिया। आ गया पंद्रह साल या सात साल या कुछ भी।
वह आदमी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ जा रहा था। रास्ते में एक छोटा-सा नाला
पड़ा। उसकी पत्नी ने कहा, नाले को जरा ठीक से देख लो, क्योंकि छोटे बच्चे हैं।
पांच साल के बच्चे हैं। कोई डूब न जाए।
उसने कहा, ठहर, मैं बच्चों की एवरेज ऊंचाई नाप लेता हूं और नाले की एवरेज
गहराई। अगर एवरेज गहराई से एवरेज बच्चा ऊंचा है तो बेफ्रिक होकर पार हो सकते
हैं। उसने अपना फुट निकाला। फुट साथ रखा हुआ था। नाप लिया-बच्चे नाप लिए।
एवरेज बच्चा एवरेज गहराई से ऊंचा था। कोई बच्चा बिल्कुल छोटा था, कोई बच्चा
बड़ा था और कही नाला बिल्कुल उथला था, और कहीं गहरा था। लेकिन वह एवरेज में
नहीं आती बातें। गणित में नहीं आती। उसने कहा बेफ्रिक रह, मैंने हिसाब
बिल्कुल ठीक कर लिया है। रेत पर हिसाब लगा लिया।
आगे गणितज्ञ हो गया। बीच में उसके बच्चे हैं पीछे पत्नी है। पत्नी थोड़ी डरी
हुई है।
स्त्रियों का गणित पर कभी भरोसा नहीं रहा है। थोड़ा भय और नीचे भी कुछ गड़बड़
हुई जा रही है, क्योंकि नाले में कई जगह हरापन दिखायी पड़ता है। नाला कई जगह
गहरा मालूम पड़ता है! उसने देखा कि उसका पति खुद कहीं बिल्कुल डूब गया है, और
साथ एक छोटा बच्चा भी है।
वह सचेत है, लेकिन पति अकड़कर आगे चला जा रहा है। एक बच्चा डूबने लगा। उसकी
पत्नी ने चिल्लाकर कहा, देखिए बच्चा डूब रहा है! आप समझते है?
उस आदमी ने क्या किया, पुरुष ने क्या किया? उसने कहा, यह हो ही नहीं सकता।
क्योंकि गणित गलत कैसे हो सकता है? बच्चे को बचाने की बजाय वह भाग कर नदी के
उस तरफ गया, जहां उसने रेत पर गणित किया था! पहले उसने गणित देखा कि गणित
कहीं गलत तो नहीं है। वह वहीं से चिल्लाया कि यह हो नहीं सकता गणित बिल्कुल
ठीक है।
गणित की एक दिशा है, जहां जड़ नियम होते हैं। चीजें तौली, नापी जा सकती हैं।
अब तक पुरुष ने जो संस्कृति बनायी है, वह गणित की संस्कृति है। वहा नाप, जोख
तौल सब है। स्त्री का कोई हाथ इस संस्कृति मे नही है। क्योंकि उसे समानता का
कोई हक नहीं है। उसे कभी हमने पुकारा नहीं कि तुम आओ और तुम एक-दूसरे आयाम से
प्रेम के आयाम से भी दान करो कि समाज कैसा हो।
स्त्री अगर सोचेगी तो और भाषा में सोचती है। और उसका सोचना भी हमसे बहुत
भिन्न है। उसे हम सोचना भी नहीं कह सकते। भावना कह सकते हैं। पुरुष सोचता है,
स्त्री भावना करती है। सोचना भी नहीं कह सकते, क्योंकि सोचना गणित की दुनिया
का हिसाब है। और इसलिए पुरुष हमेशा हिसाब लगाता है। स्त्री हिसाब के आसपास
चलती है। ठीक हिसाब नहीं लगा पाती। ठीक हिसाब नहीं है उसके पास।
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