उपन्यास >> खजाने का रहस्य खजाने का रहस्यकन्हैयालाल
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भारत के विभिन्न ध्वंसावशेषों, पहाड़ों व टीलों के गर्भ में अनेकों रहस्यमय खजाने दबे-छिपे पड़े हैं। इसी प्रकार के खजानों के रहस्य
आकस्मिक संकट और प्रसन्नता के अवसर पर शारीरिक शक्ति चमत्कारिक ढंग से बढ़ जाया करती है। माधव का उत्साह भी दुगुना हो गया था। अत: उसने एक ही झटके में सन्दूक को खींचकर बाहर निकाल लिया। पहले सन्दूक के निकल आने पर दूसरा भी आसानी से निकल आया। बारी-बारी से दोनों सन्दूकों के ताले तोड़े गये। एक में स्वर्ण-मुद्राएँ लबालब भरी थीं और दूसरी में रत्नाभूषण। डा. साहब ने अनुमान लगाकर माधव को बताया- 'लगभग एक करोड़ का खजाना है।' 'आपने मेरा तो जीवन ही बदल दिया, डा. साहब!' यों कहकर माधव ने उनके चरण-स्पर्श कर लिए। डा. साहब भाव-विह्वल हो गये। उनका हाथ माधव के सिर पर अपने आप पहुँच गया, आशीर्वाद देने के लिये।
'सन्दूकों को जैसे-तैसे उठाकर जीप में करीने से लगाया गया। फिर प्रसन्नचित्त वे रात-बसेरे के योग्य स्थान की तलाश में चल दिये।
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