धर्म एवं दर्शन >> श्रीबजरंग बाण श्रीबजरंग बाणगोस्वामी तुलसीदास
|
2 पाठकों को प्रिय 401 पाठक हैं |
कष्ट निवारण के लिए गोस्वामीजी द्वारा रचित एक ऐसा सूत्र जो कष्टों को सहने की अदुभुत क्षमता देता है।
लाह समान लंक जरि गई।
जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी।
कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मन प्रान के दाता।
आतुर होय दुख करहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर।
सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले।
बैरिहि मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो।
महाराज निज दास उबारो।।
ॐकार हुंकार महाप्रभु धावो।
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
|