धर्म एवं दर्शन >> श्रीबजरंग बाण श्रीबजरंग बाणगोस्वामी तुलसीदास
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कष्ट निवारण के लिए गोस्वामीजी द्वारा रचित एक ऐसा सूत्र जो कष्टों को सहने की अदुभुत क्षमता देता है।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीसा।
ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के।
रामदूत धरु मारु धाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा।
दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा।
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं।
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परौं कर जोरि मनावौं।
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता।।
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