लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 7

प्रेमचन्द की कहानियाँ 7

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :152
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9768
आईएसबीएन :9781613015056

Like this Hindi book 9 पाठकों को प्रिय

69 पाठक हैं

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का सातवाँ भाग


(रिपोर्ट निकालकर) ओह ! 50 लाख ! 50 लाख आदमी केवल भिक्षा माँगकर गुजर करते हैं और क्या ठीक है कि संख्या इसकी दुगनी न हो। यह पेशा लिखाना कौन पसन्द करता है। एक करोड़ से कम भिखारी इस देश में नहीं हैं। यह तो भिखारियों की बात हुई, जो द्वार-द्वार झोली लिये घूमते हैं। इसके उपरांत टीकाधारी, कोपीनधारी और जटाधारी समुदाय भी तो हैं, जिनकी संख्या कम-से-कम दो करोड़ होगी। जिस देश में इतने हरामखोर, मुफ्त का माल उड़ानेवाले, दूसरों की कमाई पर मोटे होने वाले प्राणी हों, उसकी दशा क्यों न इतनी हीन हो। आश्चर्य यही है कि अब तक यह देश जीवित कैसे है ?

(नो करता है) एक बिल की सख्त जरूरत है, उसे पेश करना ही चाहिए नाम हो 'भिखमंगा-बहिष्कार-बिल।' खूब जूतियाँ चलेंगी, धर्म के सूत्राधार खूब नाचेंगे, खूब गालियाँ देंगे, गवर्नमेंट भी कन्नी काटेगी; मगर सुधार का मार्ग तो कंटकाकीर्ण है ही। तीनों बिल मेरे ही नाम से हों, फिर देखिए, कैसी खलबली मचती है।

(आवाज आती है चाय गरम ! चाय गरम !! मगर ग्राहकों की संख्या बहुत कम है। कानूनी कुमार का ध्यान चायवाले की ओर आकर्षित हो जाता है।)

कानूनी (आप-ही-आप)- 'चायवाले की दूकान पर एक भी ग्राहक नहीं, कैसा मूर्ख देश है ! इतनी बलवर्धक वस्तु और ग्राहक कोई नहीं ! सभ्य देशों में पानी की जगह चाय पी जाती है।

(रिपोर्ट देखकर) इंग्लैंड में पाँच करोड़ पौण्ड की चाय जाती है। इंग्लैंड वाले मूर्ख नहीं हैं। उनका आज संसार पर आधिपत्य है, इसमें चाय का कितना बड़ा भाग है, कौन इसका अनुमान कर सकता है? यहाँ बेचारा चायवाला खड़ा है और कोई उसके पास नहीं फटकता। चीनवाले चाय पी-पीकर स्वाधीन हो गये; मगर हम चाय न पियेंगे। क्या अकल है। गवर्नमेंट का सारा दोष है। कीटों से भरे हुए दूध के लिए इतना शोर मचता है; मगर चाय को कोई नहीं पूछता, जो कीटों से खाली, उत्तेजक और पुष्टिकारक है ! सारे देश की मति मारी गयी है।

(नोट करता है) गवर्नमेंट से प्रश्न करना चाहिए। असेंबली खुलते ही प्रश्नों का तांता बाँध दूंगा। प्रश्न - क्या गवर्नमेंट बतायेगी कि गत पाँस सालों में भारतवर्ष में चाय की खपत कितनी बढ़ी है और उसका सर्वसाधारण में प्रचार करने के लिए गवर्नमेंट ने क्या कदम लिए हैं ?

(एक रमणी का प्रवेश। कटे हुए केश, आड़ी माँग, पारसी रेशमी साड़ी, कलाई पर घड़ी, आँखों पर ऐनक, पाँव में ऊँची एड़ी का लेडी शू, हाथ में एक बटुआ लटकाये हुए, साड़ी में ब्रूच है, गले में मोतियों का हार।)

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book