लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 12

प्रेमचन्द की कहानियाँ 12

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :134
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9773
आईएसबीएन :9781613015100

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

110 पाठक हैं

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का बारहवाँ भाग


'तुम जितना ही जलोगी, मैं उतना ही जलाऊँगी।'

'मैं जलूँगी ही नहीं।'

'जल रही हो साफ।'

'कब सन्देशा आयेगा?'

'जल मरो।'

'पहले तेरी भाँवरें देख लूँ।'

'भाँवरों की चाट तुम्हीं को रहती है।'

'अच्छा! तो क्या बिना भाँवरों का ब्याह होगा?'

'यह ढकोसले तुम्हें मुबारक रहें, मेरे लिए प्रेम काफी है।'

'तो क्या तू सचमुच ...!'

'मैं किसी से नहीं डरती।'

'यहाँ तक नौबत पहुँच गयी? और तू कह रही थी, मैंने उसे पत्र नहीं लिखा और कसमें खा रही थी।'

'क्यों अपने दिल का हाल बतलाऊँ?'

'मैं तो तुझसे पूछती न थी, मगर तू आप-ही-आप बक चली।'

'तुम मुस्करायीं क्यों?'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book