लोगों की राय

कहानी संग्रह >> प्रेमंचन्द की कहानियाँ 16

प्रेमंचन्द की कहानियाँ 16

प्रेमचंद

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :175
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9777
आईएसबीएन :9781613015148

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

171 पाठक हैं

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का सोलहवाँ भाग


इस घटना को पन्द्रह वर्ष बीत गए हैं। लाला गोपीनाथ नित्य बारह बजे रात को आनंदी के साथ बैठे हुए नजर आते हैं। वह नाम पर मरते हैं, आनंदी प्रेम पर। बदनाम दोनों हैं, लेकिन आनंदी के साथ लोगों की सहानुभूति है, गोपीनाथ सबकी निगाह से गिर गए हैं। हाँ, उनके कुछ आत्मीयगण इस घटना को केवल मानुषीय समझकर अब भी उनका सम्मान करते हैं, किन्तु जनता इतनी सहिष्णु नहीं है।

0 0 0

 

2. त्रिया चरित्र

सेठ लगनदास जी के जीवन की बगिया फलहीन थी। कोई ऐसा मानवीय, आध्यात्मिक या चिकित्सात्मक प्रयत्न न था जो उन्होंने न किया हो। यों शादी में एक पत्नीव्रत के कायल थे मगर जरूरत और आग्रह से विवश होकर एक-दो नहीं पाँच शादियाँ कीं, यहाँ तक कि उम्र के चालीस साल गुजए गए और अँधेरे घर में उजाला न हुआ। बेचारे बहुत रंजीदा रहते। यह धन-सम्पत्ति, यह ठाट-बाट, यह वैभव और यह ऐश्वर्य क्या होंगे। मेरे बाद इनका क्या होगा, कौन इनको भोगेगा। यह ख़्याल बहुत अफ़सोसनाक था। आखिर यह सलाह हुई कि किसी लड़के को गोद लेना चाहिए। मगर यह मसला पारिवारिक झगड़ों के कारण सालों तक स्थगित रहा। जब सेठ जी ने देखा कि बीवियों में अब तक बदस्तूर कशमकश हो रही है तो उन्होंने नैतिक साहस से काम लिया और एक होनहार अनाथ लड़के को गोद ले लिया। उसका नाम रखा गया मगनदास। उसकी उम्र पाँच-छ: साल से ज्यादा न थी। बला का जहीन और तमीजदार। मगर औरतें सब-कुछ कर सकती हैं, दूसरे के बच्चे को अपना नहीं समझ सकतीं। यहाँ तो पाँच औरतों का साझा था। अगर एक उसे प्यार करती तो बाकी चार औरतों का फ़र्ज था कि उससे नफ़रत करें। हाँ, सेठ जी उसके साथ बिलकुल अपने लड़के की-सी मुहब्बत करते थे। पढ़ाने को मास्टर रक्खे, सवारी के लिए घोड़े। रईसी ख़्याल के आदमी थे। राग-रंग का सामान भी मुहैया था। गाना सीखने का लड़के ने शौक किया तो उसका भी इंतज़ाम हो गया। गरज जब मगनदास जवानी पर पहुँचा तो रईसाना दिलचस्पियों में उसे कमाल हासिल था। उसका गाना सुनकर उस्ताद लोग कानों पर हाथ रखते। शहसवार ऐसा कि दौड़ते हुए घोड़े पर सवार हो जाता। डील-डौल, शक्ल-सूरत में उसका-सा अलबेला जवान दिल्ली में कम होगा। शादी का मसला पेश हुआ। नागपुर के करोड़पति सेठ मक्खनलाल बहुत लहराये हुए थे। उनकी लड़की से शादी हो गई। धूमधाम का ज़िक्र किया जाए तो किस्सा वियोग की रात से भी लम्बा हो जाए। मक्खनलाल का उसी शादी में दीवाला निकल गया। इस वक्त मगनदास से ज्यादा ईर्ष्या के योग्य आदमी और कौन होगा? उसकी ज़िन्दगी की बहार उमंगों पर भी और मुरादों के फूल अपनी शबनमी ताजगी में खिल-खिलकर हुस्न और ताजगी का समाँ दिखा रहे थे। मगर तकदीर की देवी कुछ और ही सामान कर रही थी। वह सैर-सपाटे के इरादे से जापान गया हुआ था कि दिल्ली से खबर आई कि ईश्वर ने तुम्हें एक भाई दिया है। मुझे इतनी खुशी है कि ज़्यादा अर्से तक जिन्दा न रह सकूँ। तुम बहुत जल्द लौट आओ। मगनदास के हाथ से तार का काग़ज छूट गया और सर में ऐसा चक्कर आया कि जैसे किसी ऊँचाई से गिर पड़ा है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

विनामूल्य पूर्वावलोकन

Prev
Next
Prev
Next

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book