कहानी संग्रह >> प्रेमचन्द की कहानियाँ 22 प्रेमचन्द की कहानियाँ 22प्रेमचंद
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प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का बाइसवाँ भाग
अन्धे ने कहा- माता जी कुछ खाने को दीजिए। आज दिन भर से कुछ नहीं खाया।
गोदावरी- दिन भर मॉँगता है, तब भी तुझे खाने को नहीं मिलता?
अन्धा- क्या करूं माता, कोई खाने को नहीं देता।
गोदावरी- इस पैसे का चवैना लेकर खा ले।
अन्धा- खा लूंगा माता जी, भगवान् आपको खुशी रखे। अब यहीं सोता हूँ।
दूसरे दिन प्रात:काल कांग्रेस की तरफ से एक आम जलसा हुआ। मिस्टर सेठ ने विलायती टूथ पाउडर बिलायती ब्रुश से दाँतों पर मला, विलायती साबुन से नहाया, विलायती चाय विलायती प्यालियों में पी, विलायती बिस्कुट विलायती मक्खन के साथ खाया, विलायती दूध पिया। फिर विलायती सूट धारण करके विलायती सिंगार मुंह में दबाकर घर से निकले, और अपनी मोटर साइकिल पर बैठ फ्लावर शो देखने चले गये।
गोदावरी को रात भर नींद नहीं आयी थी, दुराशा और पराजय की कठिन यन्त्रणा किसी कोड़े की तरह उसे हृदय पर पड़ रही थी। ऐसा मालुम होता था कि उसके कंठ में कोई कड़वी चीज अटक गयी है। मिस्टर सेठ को अपने प्रभाव में लाने की उसने वह सब योजनाएँ की, जो एक रमणी कर सकती है; पर उस भले आदमी पर उसके सारे हाव-भाव, मृदु मुस्कान और वाणी-विलास का कोई असर न हुआ। खुद तो स्वदेशी वस्त्रों के व्यवहार करने पर क्या राजी होते, गोदावरी के लिए एक खद्दर की साड़ी लाने पर भी सहमत न हुए। यहाँ तक कि गोदाबरी ने उनसे कभी कोई चीज मांगने की कसम खा ली।
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